Saturday, 18 April 2015

End of the story.. Thanks all who came and viewed me.. but Sorry I wont be able to continue

End of the story.. Thanks all who came and viewed me.. but Sorry I wont be able to continue

समय है,
पर समय कहां है
वर्तमान में व्यस्त हो जाना
आखिर कहां मना है
लिखने को मन करता तो है
पर मैने ही मना कर रखा है
इस सफर का भी है आखिरी पड़ाव
ये भी मैने ही तय कर रखा है
वक्त को व्यस्त करना मजबूरी है
यादों के अतीत से निकलना भी ज़रूरी है
खुद को सलीके से काम में उलझाना है अब
स्वयं के मनतरंगो को सुलझाना है अब
इंतेज़ार व्यर्थ है और वजह भी कहाँ छोड़ी थी
मैं जहां था निपट तन्हा, उसने भी तभी नज़र मोड़ी थी
खुद को संभाल कर, उन अवसादों से उभार लिया है
दर्द से निकल कर, खुद को निखार लिया है
अब ये फैसला भी, न लिखने का ठीक ही है
हाँ इस पन्ने का आखिरी पड़ाव अब नज़दीक ही है।

-- निःशब्द