Friday, 28 March 2014

आंसुओं से नहीं पसीने से तकदीर संवरती है



आंसुओं से नहीं पसीने से तकदीर संवरती है
नाकामयाबी केवल मेहनतकशों से डरती है
...
नन्हा दीपक पूजित हो मंदिरों में पहुँच गया
उसकी लौ घोर अंधकार के सामने ठहरती है

हथेली की रेखाओं में राजयोग तलाशने वालों
सफलता की राह काँटों से होकर गुजरती है

अपने कदम जमा अंगद की तरह धरा पर
आँधियों का क्या है वो तो चलती रहती है

डरे हुए चेहरे हकदार हैं थूके जाने के ‘मधु’
काल की धारा केवल वीरों का श्रंगार करती है
 
-डाॅ. मधुसूदन चौबे

Wednesday, 19 March 2014

ना जाने क्या दिल में अपने कुछ छुपा रहा है कोई

ना जाने क्या दिल में अपने कुछ छुपा रहा है कोई
करीब रह कर भी मुझ से दूर जा रहा है कोई

फासले पनप रहे हैं दिलों में इस कदर
तैश में किये गये फैसलों को निभा रहा है कोई

जिदंगी में हंसते हुए चेहरों की ही कीमत होती है..
अश्क आंखों में रख कर मुस्कुरा रहा है कोई

कभी खैरात में मोहब्बत की दौलत नहीं मिलती
फिर क्या सोच कर अपने दिल को बहला रहा है कोई

जिदंगी के सफर में नये रास्ते तलाशते रहो...
उम्मीद के दम पर आज भी जिये जा रहा है कोई

वो भी सितारे हैं जो चमकते हैं इन आँखों में
इन सितारों को अश्क बना कर क्यूं बहा रहा है कोई

'ख्वाहिश' हंसते हुए बच्चे देख कर खुश रहना सीखो
जिदंगी कैसे जीते हैं, तुम्हें समझा रहा है कोई


~~~~~Khwahish~~~~~

Tuesday, 18 March 2014

क्या बताएं ज़िंदगी ने और क्या दिया.

दोस्ती का हाथ मै ने जब बढ़ा दिया,
फिर नहीं गिना कि किस ने कब दग़ा दिया.
...
उस दिये को आँधियाँ बुझा नहीं सकीं,
जिस को मैं ने ऐतबार से जला दिया.

एक नाव थी कि जो भँवर में फ़ँस गई,
एक भँवर था जिसने तैरना सिखा दिया.

ठोकरें ही रास्ते की हमसफ़र बनीं,
ठोकरों ने ही सफर का हौसला दिया.

बेशुमार दर्द और कुछ हसीन ख़्वाब,
क्या बताएं ज़िंदगी ने और क्या दिया.


--  अशोक रावत.