Bala ka hushn, Ghazab ka, Shabab Neend me hai..
बला का हुस्न गज़ब का शबाब नींद में है,
बला का हुस्न गज़ब का शबाब नींद में है,
है जिस्म जैसे गुलिस्तां, गुलाब नींद में है।
उसे ज़रा सा भी पढ़ लो तो शायरी आ जाए,
अभी गज़ल की मुकम्मल किताब नींद में है।
मचल रही है मेरे दिल में दीद की हसरत,
वो डाले चेहरे पे नीला नकाब नींद में हैं।
वो इन्कलाब उठाता है ले के अंगड़ाई,
सवाल जागा हुआ है जवाब नींद में है।
http://youtu.be/Zhp0e82SReY
No comments:
Post a Comment