Saturday, 23 August 2014

रहूँ जब दूर तुझसे मै तो दिल दिल सा नहीं रहता

रहूँ जब दूर तुझसे मै तो दिल दिल सा नहीं रहता
किसीकी फिर ख़बर क्या हो पता अपना नहीं रहता

तिरी क़ुरबत के जलवो से हे रौशन ज़िन्दगी मेरी
तसव्वुर में न हो जो तू तो कुछ जलवा नहीं रहता

बनाया है तेरी यादों को जब से हम सफ़र मैंने
मुझे तुझसे बिछड़ने का कभी ख़तरा नहीं रहता

रहूँ जिस हाल में लेकिन उसूलो से नहीं हटता
उसूलो की तिजारत में कभी घाटा नहीं रहता

ज़माने से भी अब उम्मीद क्या रखना मियाँ बिस्मिल
ज़ियादा देर तक अपना यहाँ साया नहीं रहता

**((अय्यूब खान "बिस्मिल"))**

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