बेनाम मुसाफिर हूँ, बेनाम सफर मेरा
किस राह निकल जाऊँ, कुछ कह नहीं सकता
बेनाम मेरी मंजिल है, बेनाम मेरा ठिकाना है
किस दर मैं रुक जाऊँ, कुछ कह नहीं सकता
इस पार तो रोशन है सारा मेरा रास्ता
उस पार अंधेरा हो, कुछ कह नहीं सकता
तिनके की तरह मैं भी बह जाऊँ संमदर में
या मिल जायेगा किनारा, कुछ कह नहीं सकता
मिल जायेगी ताबीर मेरी ख्वाबों की एक दिन
या ख्वाब बिखर जायेगें, कुछ कह नहीं सकता
- Unknown
किस राह निकल जाऊँ, कुछ कह नहीं सकता
बेनाम मेरी मंजिल है, बेनाम मेरा ठिकाना है
किस दर मैं रुक जाऊँ, कुछ कह नहीं सकता
इस पार तो रोशन है सारा मेरा रास्ता
उस पार अंधेरा हो, कुछ कह नहीं सकता
तिनके की तरह मैं भी बह जाऊँ संमदर में
या मिल जायेगा किनारा, कुछ कह नहीं सकता
मिल जायेगी ताबीर मेरी ख्वाबों की एक दिन
या ख्वाब बिखर जायेगें, कुछ कह नहीं सकता
- Unknown
No comments:
Post a Comment