Wednesday, 11 June 2014

आप हैं,, वो हैं,,, हम हैं सबके अपने-अपने ज़ख़म हैं

आप हैं,, वो हैं,,, हम हैं
सबके अपने-अपने ज़ख़म हैं
चलाइये, वक्त की गिन्नी भी चलेगी
ज़िन्दगियाँ ख़र्च होती रक़म हैं
उसका दावा है वो एक ही बार मरेगा
ऐसे लोग दुनियाँ में बहुत कम हैं

--- Somesh Shukla ---

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