Friday, 13 June 2014

खुद को मात न कर

जब तक जिन्दा है तू मरने की बात न कर 
ऐ! कायरों की तरह आंसू की बरसात न कर

एक बाजी हारा है अभी जिंदगी बाकी है बहुत 
अपने हाथों से अपने पैरों पर आघात न कर

जीवन शतरंज की बिगड़ी बाजी संवर सकती है 
शह का जवाब दे जरा खुद को मात न कर

तू विराट हो सकता है अनंत आकाश जैसा
गमले में उगकर बहुत छोटी औकात न कर

यहाँ हर कोई केवल अपने में मस्त है ‘मधु’
इन पत्थरों के सामने तू बयाँ जज्बात न कर

-डॉ. मधुसूदन चौबे 

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