Saturday, 14 June 2014

ठोकरें अपना काम करेंगी तू अपना काम करता चल

ठोकरें अपना काम करेंगी तू अपना काम करता चल
वो गिराएंगी बार बार, तू उठकर फिर से चलता चल

हर वक्त, एक ही रफ्तार से दौड़ना कतई जरुरी नहीं
मौसम की प्रतिकूलता हो, तो थोड़ा सा ठहरता चल

अपने से भरोसा न हटे बस ये ख्याल रहे तुझे सदा
नकारात्मक ख्यालों दूर रहे तुझसे थोड़ा संभलता चल

पसीने की पूंजी लूटाकर दिन रात मंजिल की राह में
दिल के ख़्वाबों को जमीनी हकीकत में बदलता चल

इक दिन में नहीं लगते किसी भी पेड़ पर फल ‘मधु’
पड़ाव दर पड़ाव अपनी मंजिल की ओर सरकता चल

सर मधुसूदन चौबे

No comments:

Post a Comment