Monday, 19 January 2015

वोह बातों-बातों में आँखों में पानी दे गया


काश वह लौट आये मुझ से यह कहने
तुम होते कौन हो मुझ से बिछड़ने वाले

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ज़िन्दगी भर जिसे दोहरा सकु ऐसी कहानी दे गया
वोह बातों-बातों में आँखों में पानी दे गया.....

वोह अपने साथ मेरी दुनिया भी ले जा रहा था
मुझे तो सिर्फ वोह अपनी यादों की निशानी दे गया

एक दूजे को अलविदा कहना न उसे आया न मुझे
वक़्त-ए-रुखसत की वोह एक शाम सुहानी दे गया

ज़िन्दगी यूह गुज़र रही थी जैसे बस अब थम जायेगी
मेरा साथ दे कर मेरी ज़िंदगी को वोह जवानी दे गया

अगर मंज़िलें जूदा है तो जुदा ही सहीं "ख्वाहिश"
ज़िन्दगी के कुछ पलों को वोह ज़िन्दगानी दे गया


~~~~~ख्वाहिश~~~~~

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