Monday, 19 January 2015

अजीब अहमक है

आदमी जाने क्या क्या संभालकर रखता है
अजीब अहमक है, आंसू पाल कर रखता है

मार डालेगी एक दिन अतीत की परछाइयाँ
फिर भी उन्हें आदमी देखभाल कर रखता है

कागज़ पर उन उँगलियों से बना था सितारा
अपनी जान से ज्यादा ख्याल कर रखता है

घर के साथ कहीं ख़ाक न हो जाए जिन्दगी
पुरानी तस्वीर को जेब में डालकर रखता है

बाकी तो सब आनी, जानी, फ़ानी है ‘मधु’
शाश्वत यादों से खुद को निहालकर रखता है

डॉ. मधुसूदन चौबे

No comments:

Post a Comment