खारे आंसुओं पर मीठी मुस्कान से वार करते हैं
चल आ एक बार फिर जिंदगी से प्यार करते हैं
आखिर ये चुनौतियाँ कब तक उठा पाएंगी गर्दनें
इन्हें काट फेंकने को हौंसले पर तेज धार करते हैं
जो छुट गया उससे बेहतर मिलेगा तू यकीन रख
आशा और विश्वास के बाग़ को सदाबहार करते हैं
मन की महक के साथ तन चमके तो बुरा क्या
नये जूते, कपड़े, टाई, हेयर डाई से श्रृंगार करते हैं
घर के आलिये में रख दृढ़ता के कई सूरज ‘मधु’
आँखों के आत्मविश्वास से दूर अन्धकार करते हैं
-डॉ. मधुसूदन चौबे
चल आ एक बार फिर जिंदगी से प्यार करते हैं
आखिर ये चुनौतियाँ कब तक उठा पाएंगी गर्दनें
इन्हें काट फेंकने को हौंसले पर तेज धार करते हैं
जो छुट गया उससे बेहतर मिलेगा तू यकीन रख
आशा और विश्वास के बाग़ को सदाबहार करते हैं
मन की महक के साथ तन चमके तो बुरा क्या
नये जूते, कपड़े, टाई, हेयर डाई से श्रृंगार करते हैं
घर के आलिये में रख दृढ़ता के कई सूरज ‘मधु’
आँखों के आत्मविश्वास से दूर अन्धकार करते हैं
-डॉ. मधुसूदन चौबे
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