Monday, 23 September 2013

मरने की दुआएं क्यों मांगू, जीने की तमन्ना कौन करे,

मरने की दुआएं क्यों मांगू, जीने की तमन्ना कौन करे,
ये दुनिया हो या वो दुनिया, अब ख्वाहिश-ए-दुनिया कौन करे

जो आग लगाई थी तुमने, उसको तो बुझाया अश्कों ने
जो अश्कों ने भड़काई है, उस आग को ठंडा कौन करे

जब कश्ती साबित-ओ-सालिम थी, साहिल की तमन्ना किसको थी
अब ऐसी शिकस्ता कश्ती पर, साहिल की तमन्ना कौन करे।

दुनिया ने हमें छोड़ा ऐ दिल, हम छोड़ न दें क्यों दुनिया को
दुनिया को समझ कर बैठे है अब दुनिया दुनिया कौन करे।

मरने की दुआएं क्यों मांगू, जीने की तमन्ना कौन करे,
ये दुनिया हो या वो दुनिया, अब ख्वाहिश-ए-दुनिया कौन करे
-- अब ख्वाहिश-ए-दुनिया कौन करे

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