Friday, 13 December 2013

आंसू और यादों ने बेसहारा न होने दिया

आंसू और यादों ने बेसहारा न होने दिया
ये प्यार-व्यार फिर दोबारा न होने दिया

दाड़ी-वाड़ी बना लेता हूँ तो जंचता हूँ मैं
तुम्हारी इस बात ने बेचारा न होने दिया

काजल- वाजल सब ही दीवाने थे तुम्हारे
रब ने फिर कोई ऐसा प्यारा न होने दिया

चिट्ठी-विट्ठी फूल-वूल बेहिसाब निशानियाँ
ऐसी घेराबंदी की कि आवारा न होने दिया

चाँद-वांद सब पानी भरे उसके आगे ‘मधु’
अस्त होने पर भी अंधियारा न होने दिया

-डॉ. मधुसूदन चौबे

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