उदास चेहरे पे मुस्कुराहट सी खिल जाती है तेरे नाम से
हर लम्हा मैं तुझे याद करता हूँ बड़े ऐहतराम से।
इस दिल को अब भी है ये उम्मीद के तुम आओगे कहीं
पलकें बिछाये बैठे हैं, तेरे इंतेजार में कल शाम से।
कोई आइना भी नहीं पास कि अपने चेहरे भी देख सकूं,
लोग कहते हैं बेचैनी साफ झलक रही है हर मुकाम से।
एक तेरी याद है कि जीने का सहारा बन बैठा है अब
तेरा ही अक्श नज़र आता है मुझे, हर पैमान-ए-ज़ाम से।
उतरी थी कल रात एक अज़ीब सी रौशनी मेरे ख्वाब में
चांद सितारे सब खुश थे, तुझसे मिलने के इंतजाम से।
फिर दिन आया और मेरा ये ख्वाब भी टूटा 'ख्वाहिश'
मेरी कुछ आरजूं, कुछ कोशिशें सब रह गये नाकाम से।
ख्वाहिश
हर लम्हा मैं तुझे याद करता हूँ बड़े ऐहतराम से।
इस दिल को अब भी है ये उम्मीद के तुम आओगे कहीं
पलकें बिछाये बैठे हैं, तेरे इंतेजार में कल शाम से।
कोई आइना भी नहीं पास कि अपने चेहरे भी देख सकूं,
लोग कहते हैं बेचैनी साफ झलक रही है हर मुकाम से।
एक तेरी याद है कि जीने का सहारा बन बैठा है अब
तेरा ही अक्श नज़र आता है मुझे, हर पैमान-ए-ज़ाम से।
उतरी थी कल रात एक अज़ीब सी रौशनी मेरे ख्वाब में
चांद सितारे सब खुश थे, तुझसे मिलने के इंतजाम से।
फिर दिन आया और मेरा ये ख्वाब भी टूटा 'ख्वाहिश'
मेरी कुछ आरजूं, कुछ कोशिशें सब रह गये नाकाम से।
ख्वाहिश
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