Sunday, 22 December 2013

ये वादियाँ ये फिजाएँ, बुला रहीं हैं तुम्हें,

ये वादियाँ ये फिजाएँ, बुला रहीं हैं तुम्हें,
खामोशियों की सदाएँ, बुला रहीं हैं तुम्हें,

तरस रहे हैं जवाँ फूल, होंठ छूने को,
मचल-मचल के हवाएँ,बुला रहीं हैं तुम्हें,

तुम्हारी ज़ुल्फ से खुशबू की भीख लेने को,
झुकी-झुकी सी घटाएँ, बुला रही हैं तुम्हें,

हसीन चम्पई पैरों को जबसे देखा है,
नदी की मस्त अदाएँ, बुला रहीं हैं तुम्हें,

मेरा कहा न सुनो इनकी बात तो सुन लो,
हर एक दिल की दुआएँ, बुला रही हैं तुम्हें,

ये वादियाँ ये फिजाएँ, बुला रहीं हैं तुम्हें,
खामोशियों की सदाएँ, बुला रहीं हैं तुम्हें,

(साहिर)


http://www.youtube.com/watch?v=i6JFoMNyLnE 

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