Saturday, 25 October 2014

अगर चाहो मिटाना तो मिटा दो मुझको

बस ये हसरत है कि दामन की हवा दो मुझको
फिर अगर चाहो मिटाना तो मिटा दो मुझको

शमअ की तरहां मैरे पहलु में पिघलो तो सही
अपनी क़ुर्बत की तपिश देके ही जला दो मुझको

ख़त्म क़िस्सा ये करो या तो मेरी जाँ लेकर
राह जीने की नई या के बता दो मुझको

टूट जाये ये मेरी तुम से सभी उम्मीदें
आज मौक़ा है चलो कोई दग़ा दो मुझको

ज़ख़्म सब भरने लगे जीना हुआ मुश्किल सा
करके ईजाद सितम कोई नया दो मुझको

तुमसे वाबस्ता अगर ग़म है मुझे प्यारे हैं
कब कहा मैंने मसर्रत की दुआ दो मुझको

तुमसे करता तो है इज़हारे तमन्ना बिस्मिल
देखो ऐसा न हो नज़रों से गिरा दो मुझको

**(( अय्यूब ख़ान "बिस्मिल"))**

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