Sunday, 12 October 2014

झेले हैं जलजले सीने पर फूलों की तरह

झेले हैं जलजले सीने पर फूलों की तरह
जीवन जिया है गीता के उसूलों की तरह

दुश्मनों का तो खैर काम ही है जान लेना
दोस्त रहे मेरी सबसे बड़ी भूलों की तरह

फेहरिश्त बहुत बड़ी है भूतपूर्व दोस्तों की
आते जाते रहे सावन के झूलों की तरह

इक बार जुदा हुए तो फिर मिल न सके
दो किनारों के बीच टूटे हुए पूलों की तरह

यहाँ पर फूटफूटकर रोना लाजमी है ‘मधु’
तुम्हारे दिए फूल चुभते हैं शुलों की तरह

मधूसूदन चौबे

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