झेले हैं जलजले सीने पर फूलों की तरह
जीवन जिया है गीता के उसूलों की तरह
दुश्मनों का तो खैर काम ही है जान लेना
दोस्त रहे मेरी सबसे बड़ी भूलों की तरह
फेहरिश्त बहुत बड़ी है भूतपूर्व दोस्तों की
आते जाते रहे सावन के झूलों की तरह
इक बार जुदा हुए तो फिर मिल न सके
दो किनारों के बीच टूटे हुए पूलों की तरह
यहाँ पर फूटफूटकर रोना लाजमी है ‘मधु’
तुम्हारे दिए फूल चुभते हैं शुलों की तरह
मधूसूदन चौबे
जीवन जिया है गीता के उसूलों की तरह
दुश्मनों का तो खैर काम ही है जान लेना
दोस्त रहे मेरी सबसे बड़ी भूलों की तरह
फेहरिश्त बहुत बड़ी है भूतपूर्व दोस्तों की
आते जाते रहे सावन के झूलों की तरह
इक बार जुदा हुए तो फिर मिल न सके
दो किनारों के बीच टूटे हुए पूलों की तरह
यहाँ पर फूटफूटकर रोना लाजमी है ‘मधु’
तुम्हारे दिए फूल चुभते हैं शुलों की तरह
मधूसूदन चौबे
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