कुछ लोग सितम करने को तैयार बैठे हैं
कुछ लोग मगर हम पे दिल हार बैठे हैं,
इस कश्मकश में हमसे पहचाने नहीं जाते
कहाँ दुश्मन हैं और कहाँ दोस्त यार बैठे हैं,
इस इश्क को आग का दरिया समझ लीजिये हुजूर
कोई उस पार बैठा है तो हम इस पार बैठे है,
कौन कहता है कि इस शहर में सारे हैं बेवफा
हमारे सामने दो-चार वफादार बैठे है,
कल तक जिन की हसरत थी हमें बदनाम करने की
आज वही लोग अपने किये पे शर्मसार बैठे हैं,
दुनिया से रुठ जाने की ख्वाहिश है हमारी,
क्या करुँ इस ख्वाहिश पे पहरेदार बैठे हैं..
-अज्ञात
कुछ लोग मगर हम पे दिल हार बैठे हैं,
इस कश्मकश में हमसे पहचाने नहीं जाते
कहाँ दुश्मन हैं और कहाँ दोस्त यार बैठे हैं,
इस इश्क को आग का दरिया समझ लीजिये हुजूर
कोई उस पार बैठा है तो हम इस पार बैठे है,
कौन कहता है कि इस शहर में सारे हैं बेवफा
हमारे सामने दो-चार वफादार बैठे है,
कल तक जिन की हसरत थी हमें बदनाम करने की
आज वही लोग अपने किये पे शर्मसार बैठे हैं,
दुनिया से रुठ जाने की ख्वाहिश है हमारी,
क्या करुँ इस ख्वाहिश पे पहरेदार बैठे हैं..
-अज्ञात
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