Friday, 14 November 2014

खंजर से करो बात ना, तलवार से पूछो

खंजर से करो बात ना, तलवार से पूछो
मैं कत्ल हुआ कैसे, मेरे यार से पूछो

फर्ज़ अपना मसीहा ने अदा कर दिया लेकिन
किस तरह कटी रात ये बीमार से पूछो

कुछ भूल हुई हो तो सज़ा भी कोई होगी
सब कुछ मैं बता दूंगा, ज़रा प्यार से पूछो

आखों ने तो चुप रह के भी रूदाद सुना दी
क्यों खुल न सके ये लब-ए-इज़हार से पूछो

रौनक है मेरे घर में तस्व्वुर ही से जिस के
वो कौन था राही, दर-ओ-दीवार से पूछो

-- अज्ञात

No comments:

Post a Comment