हाथों को हाथों में थामकर हल्के से दबा देना
जो जुबाँ न कह पाये, वो इशारे से बता देना
दुवा में बैठा है कोई, अब कुबूल भी कर लो
अच्छा नहीं है इंतजार में किसी को थका देना
बादलों में छिपा हुआ चाँद अच्छा नहीं लगता
अपने चेहरे से जुल्फ़ों को झटक के हटा देना
न डरो कल के इश्क से तुम आज मेरी जाँ
लौटा दूंगा तुम्हारे खत अपना नया पता देना
जहाँ में वैसे तो कई जुर्म हैं बड़े संगीन ‘मधु’
नाकाबिले माफ़ गुनाह है किसी को दगा देना
डॉ. मधुसूदन चौबे
जो जुबाँ न कह पाये, वो इशारे से बता देना
दुवा में बैठा है कोई, अब कुबूल भी कर लो
अच्छा नहीं है इंतजार में किसी को थका देना
बादलों में छिपा हुआ चाँद अच्छा नहीं लगता
अपने चेहरे से जुल्फ़ों को झटक के हटा देना
न डरो कल के इश्क से तुम आज मेरी जाँ
लौटा दूंगा तुम्हारे खत अपना नया पता देना
जहाँ में वैसे तो कई जुर्म हैं बड़े संगीन ‘मधु’
नाकाबिले माफ़ गुनाह है किसी को दगा देना
डॉ. मधुसूदन चौबे
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