Sunday, 13 April 2014

बेपरवाह रहना

आंधियां दौड़ेंगी नन्हे दीप तुम्हें बुझाने को
मगर दो हथेलियाँ सहारा बनेंगी बचाने को ...

कदम थम न जाए आख़िरी मंजिल से पहले
हौंसला दिल में होता है हर बाधा हटाने को

नजरें चौकन्नी हों और चाल में दृढ़ता रहे
लोग टंगड़ियाँ अड़ाएंगे तुम्हें लड़खड़ाने को

जमीं फाड़कर उग आये हो तो चौकस रहना
कई पैर आगे बढ़ेंगे नये पौधे के दबाने को

इंसान की नाखुशी से बेपरवाह रहना ‘मधु’
फूल, पंछी, किताबें हैं साथ खिलखिलाने को

- M Choubey

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