Saturday, 19 April 2014

तू एक सपना है या बस इक परछाई है

तू एक सपना है या बस इक परछाई है
मगर मेरे लिए जीवन भर की कमाई है...

धड़कन दिल से जुदा हुई फिर भी जिया
कभी भी कह न सका कि तू हरजाई है

तेरे जाने के बाद भी मैं कहाँ हूँ अकेला
यादों ने साथ रहने की कसम निभाई है

कहाँ बसा लूं किसी और को कोई बताये
मेरी रग रग में वो एक मूरत समाई है

जब भी मोहब्बत पर लिखने बैठा ‘मधु’
इक सांवली सलोनी सूरत नजर आई है

- M Choubey

No comments:

Post a Comment