सीता तुम्हें, तुम सीता को समझते थे राम
दो जोड़ी आँखों से महासागर बरसते थे राम
अहल्या का उद्धारक क्रूर नहीं हो सकता है
इतिहास जानता है तुम बहुत तरसते थे राम
वस्त्रों की सलवटें संवार दे नाजुक उँगलियाँ
महल से निकलने से पहले ठहरते थे राम
धरा से महाप्रयाण को कितने उत्सुक थे तुम
बिन सीता जिंदगी के लम्हे अखरते थे राम
प्रथम दर्शन, धनुष भंग, निर्वासन संग ‘मधु’
रोते रोते खट्टी मीठी यादों से गुजरते थे राम
-- मधुसूदन चौबे
इतिहास जानता है तुम बहुत तरसते थे राम
वस्त्रों की सलवटें संवार दे नाजुक उँगलियाँ
महल से निकलने से पहले ठहरते थे राम
धरा से महाप्रयाण को कितने उत्सुक थे तुम
बिन सीता जिंदगी के लम्हे अखरते थे राम
प्रथम दर्शन, धनुष भंग, निर्वासन संग ‘मधु’
रोते रोते खट्टी मीठी यादों से गुजरते थे राम
-- मधुसूदन चौबे
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