Thursday, 3 April 2014

माँ के पैर छूकर जाना

अकेला आया, अकेला रह, अकेले ही गुजर जाना
कोई साथ देने का वादा करे तो जल्द मुकर जाना...

आदमियत पर भरोसा करते रहना बेवकूफी है बड़ी
बेहतर होगा. एक दो ठोकरों के बाद सुधर जाना

पलते पलते फोड़ा नासूर हो जाता है एक दिन
पहले हमले पर ही अपनी औकात पे उतर जाना

मंदिरों का पता नहीं पर घर में है देव का वास
जब भी शुभ काम पे जाए माँ के पैर छूकर जाना

जीवन मूल्य इसके ठीक से खर्च होने में है ‘मधु’
सबका कर्ज अदा करके सुकून से तू ऊपर जाना

- M Choubey

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