Sunday, 20 July 2014

हर ग़म से मुस्कुराने का हौसला मिलता है

हर ग़म से मुस्कुराने का हौसला मिलता है
ये तो दिल है जो कभी गिरता है तो कभी संभलता है

जलते दिल की रोशनी में ढूंढ लो मंजिल का पता
उस चिराग को देखो जो बड़े शौक से जलता है

इस दर्द भरी दुनिया में खुद को पत्थर बना डालो
वैसा दिल ना रखो जो मोहब्बत में पिघलता है

तुम समझ लेना उम्मीदों की शहनाई उसे
आह जब-जब तुम्हारे दिल से निकलती है

किसी की याद सताये तो शाम का दिल देखो
जो अपनी सुबह के लिये कई रंग बदलता है

जिदंगी चीज है जीने की जी लेते हैं 'दोस्तों'
लाख रोशनी हो मगर ये दिल कहां सभंलता है

-- अज्ञात

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