Saturday, 26 July 2014

कुछ पल थम जाए और फिर जारी है जीन्दगी

दुनिया में युं भी हमने गुज़ारी है जिन्दगी
किश्तों में मिली जैसे उधारी है जीन्दगी

अपना चेहरा भी आइने में मुझे अपना न लगे
किस कदर खुद को बदल कर सवांरी है जिन्दगी

हमसे न पूछों किस-किस दौर से गुज़रे हैं हम
जीते कभी तो कभी खुद ही हारी है जीन्दगी

कभी दुख, कभी सुख, हर एक मौसम है यहा
इम्तेहानों से लडते रहने की तैयारी है जीन्दगी

माँ - बाप की दुआएँ हर मुश्किल आसां करती है
माँ की ममता के जैसे ही कभी प्यारी है जीन्दगी

किसी के रुक जाने से वक्त नहीं रुकता ख्वाहिश
कुछ पल थम जाए और फिर जारी है जीन्दगी

- ख्वाहिश

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