तेरे झूठ को झूठ मान लिया तो मर जाउँगा
इकलौता भरोसा भी टूटा तो किधर जाउंगा
मुँह के बल गिरा न जारे कितना दर्द सहा
हर ठोकर पर सोचा, अबके मैं सुधर जाउँगा
कैसी तासीर बन गयी की बदलती ही नहीं,
बदला तो खुद की निगाहों से उतर जाउंगा
भाग रहा हूँ अपने साये से दूर होने के लिए
वो ही आवाज़ आयी अगर तो ठहर जाउंगा
बैठा हूँ मैं तेरी यादों के साथ अकेला मधु
आँखे खाली हो जाए तो फिर मैं घर जाउंगा
इकलौता भरोसा भी टूटा तो किधर जाउंगा
मुँह के बल गिरा न जारे कितना दर्द सहा
हर ठोकर पर सोचा, अबके मैं सुधर जाउँगा
कैसी तासीर बन गयी की बदलती ही नहीं,
बदला तो खुद की निगाहों से उतर जाउंगा
भाग रहा हूँ अपने साये से दूर होने के लिए
वो ही आवाज़ आयी अगर तो ठहर जाउंगा
बैठा हूँ मैं तेरी यादों के साथ अकेला मधु
आँखे खाली हो जाए तो फिर मैं घर जाउंगा
- मधूसूदन चौबे
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