Sunday, 20 July 2014

ग़म देर तक रुका है हर एक खुशी से पहले

ग़म देर तक रुका है हर एक खुशी से पहले
हाँ कुछ तो होश था हमें इस बेखुदी से पहले

ये वक़्त का जादू है किस को न बदल डाले
इंसान एक बना था इस आदमी से पहले

इस खेल में किसी का मुक़द्दर न डूब जाए
थोडा था सोचा करिए एक दिल्लगी से पहले

ख्वाबों का आशियाँ क्यूँ कर सजाये कोई
सामान ए मौत हाज़िर है ज़िंदगी से पहले

-- अज्ञात

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