सिर्फ रो देने से जिदंगी में गुजारा नहीं होता
कोइ इतना भी मजबूरियों का मारा नहीं होता
हालात अक्सर बदलते रहते है इंसान के
खुदा के अलावा कोइ किसी का सहारा नहीं होता
दर्द-ओ-ग़म से कभी कुछ भी नहीं हासिल
हर कश्ती के तक़दीर में किनारा नहीं होता
मुसाफिर हूँ चलता रहता हूँ हर हाल में
ना रुकता कभी, अगर किसी ने पुकारा नहीं होता
मुझसे मेरी तन्हाइ ना छीनों तुम, खुदा के लिये
हर तन्हा रहने वाला इंसान आवारा नहीं होता
'ख्वाहिश' दिल में समुदंर की गहराई रखता है....
वो ख़ाक लिख पायेगा जो दर्द का मारा नहीं होता
-- ख्वाहिश
No comments:
Post a Comment