Saturday, 20 September 2014

उसके बग़ैर ये शहर बड़ा गरीब लगता है

वो एक शख्स मुझे अपने क़रीब लगता है
खुद से करूँ जुदा तो अजीब लगता है

ये बेक़रारी, ये बेचैनी, ये कशिश कैसी
उसका मिलना मुझे अपना नसीब लगता है

कभी मीठी सी बातें, कभी हर बात पे झगड़े
ये याराना बड़ा दिलचस्प, बे-तरतीब लगता है

मोहब्बत की मंज़िल का पता न मिल सके फिर भी
कई सदियों का रिश्ता ये मेरे हबीब लगता है

उसके होने से जो सज जाती हैं महफ़िलें 'मीना'
उसके बग़ैर ये शहर बड़ा गरीब लगता है

-- 'मीना'

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