Thursday, 1 August 2013

ये हौसला कैसे झुके, ये आरजू कैसे रुके

Ye hausla kaise jhukhe, Ye Aarzu Kaise Ruke..

रिश्ते भरोसे चाहत यकीं
उन सबका दामन अब चाक है
समझे थे हाथों मे है जमीन
मुट्ठूी जो खोली तो खाक है
दिल में ये शोर है क्यों
ईमान कमजोर है क्यों
नाजुक ये डोर है क्यों

ये हौसला कैसे झुके
ये आरजू कैसे रुके - 2

मंजिल मुश्किल तो क्या
धुंधला साहिल तो क्या
तन्हा ये दिल तो क्या
हो.....

राह पे कांटे बिखरे अगर
उसपे तो फिर भी चलना ही है
शाम छुपाले सूरज मगर
रात को एक दिन ढ़लना ही है
रुत ये टल जाएगी
हिम्मत रंग लाएगी
सुबह फिर आयेगी

ये हौसला कैसे झुके
ये आरजू कैसे रुके - 2
हो.....

होगी हमें जो रहमत अदा
धूप कटेगी साये तले
अपनी खुदा से है ये दुआ
मंजिल लगा ले हमको गले
जुर्रत सौ बार रहे
उँचा इकरार रहे
जिंदा हर प्यार रहे

ये हौसला कैसे झुके
ये आरजू कैसे रुके - 2
हो.....

http://youtu.be/d8me1GXijJA

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