Saturday, 3 August 2013

दर्द-ए-तन्हाई में.....

बेचैनिया हैं साँसे रुकी है, तन्हाइयों में तेरी कमी है
आँखों में आँसु थमते नही हैं, कैसे हैं ये पल कटते नहीं हैं
दर्द-ए-तन्हाई में.....

फूलों की ये शाखी ...है कांटो से सजी
मिटाने से... ना मिटेगी .... दिल की ये बेबसी
जो हम पे गुज़री है... बीतें तुम पे कभी
तुमको भी याद आए.. बीती बांते सभी
मुश्किल है खुशियों से गम का मिलना यहाँ
शोलो में लिपटा हैं मेरे दिल का जहाँ
दर्द-ए-तन्हाई में
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ऐसा भी हम जिएगें .. कभी सोचा ही नहीं
जो सपने... टूट जाए... वो जुड़ते फिर नहीं
डसती है.. यदों की... परछाईयाँ तेरी
आवारा.. इस दिल की... कोई मंजिल ही नहीं..
साहिल से ये लहरे क्यों होती है जुदा
आँखो के ये आँसु तुझे देते हैं सदा
दर्द-ए-तन्हाई में....

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http://www.youtube.com/watch?v=QySC5Kvb_Kc&feature=share&list=PLpG1Fr8qArELeWNW76n_rGQ_sKFaWEKkk

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