Friday, 2 August 2013

स्पर्श तुम्हारा मिल रहा है

स्पर्श तुम्हारा मिल रहा है..............................

प्रिये, तुम हो हजारों मील दूर मुझसे,
पर इन हवाओं से मुझे स्पर्श तुम्हारा मिल रहा है,

... तुम न कहो कुछ भी चाहे मुझसे,
पर दिल मेरा, दिल से तुम्हारे सब कुछ सुन रहा है,

तुम मुझे याद आते रहते हो हर वक्त,
बस इसीलिए वक्त मेरा कुछ सकूं से निकल रहा है,

मेरे ख्वाबों में तुम आते रहना प्रति दिन,
सोचना ना ये तुम, के मेरा काम बिन तुम्हारे चल रहा है,

यूँ तो यादें तुम्हारी साथ दे रहीं हैं मेरा,
पर पानेको मुस्कान तुम्हारी, मन मेरा मचल रहा है,

विरह क्या चीज़ है मुझे पता नहीं था,
आज यूँ बिछुड़ कर तुमसे, सब पता मुझे चल रहा है.

प्रिये, तुम हो हजारों मील दूर मुझसे,
पर इन हवाओं से, मुझे स्पर्श तुम्हारा मिल रहा है........

........................................वीरेंद्र अजनबी..

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