Sunday, 21 July 2013

जिंदगी की राहों में रंज-ओ-गम के मेले हैं

Zindagi Ki Rahon me Ranj-o-gham ke Mele hain.

जिंदगी की राहों में रंज-ओ-गम के मेले हैं
भीड़ है कयामत की, और हम अकेले हैं।

आइने के सो टुकड़े करके हमने देखें हैं
एक में भी तन्हा थे, सौ मे भी अकेले हैं
भीड़ है कयामत की, और हम अकेले हैं
जिंदगी की राहों में रंज-ओ-गम के मेले हैं

जब शबाब आया है, आँख क्यों चुराते हो
बचपनी में हम और तुम, साथ साथ खेले हैं
भीड़ है कयामत की, और हम अकेले हैं
जिंदगी की राहों में रंज-ओ-गम के मेले हैं

गेसुओँ के साये में हमने शब गुज़ारी है
आपसे जुदा होकर, आज तक अकेले हैं
भीड़ है कयामत की, और हम अकेले हैं
जिंदगी की राहों में रंज-ओ-गम के मेले हैं

और हम अकेले हैं .......

http://youtu.be/0yELoU3yqVU

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