Monday, 15 July 2013

हम जैसे तन्हा लोगों का अब रोना क्या मुस्काना क्या

Hum Jaise Tanha Logon ka, ab Rona kya, Muskana kya.

जो पूछता है कोइ सुर्ख क्यों हैं आज आँखे तो
आँख मलते मैं कहता हूँ रात सो ना सका
हजार चाहूँ मगर ये न कह सकूंगा कभी
के रात रोने की ख्वाहिश थी मगर रो ना सका

हम जैसे तन्हा लोगों का अब रोना क्या मुस्काना क्या - 2
जब चाहने वाला कोई नहीं -2
फिर जीना क्या मर जाना क्या


हम जैसे तन्हा लोगों का अब रोना क्या मुस्काना क्या
सौ रंग में जिसको सोचा था, सौ रूप में जिसको चाहा था - 2
सौ रूप में जिसको चाहा था
वो जान-ए-गज़ल तो रूठ गई, अब उसका हाल सुनाना क्या - 2
जब चाहने वाला कोई नहीं -2
फिर जीना क्या मर जाना क्या
हम जैसे तन्हा लोगों का अब रोना क्या मुस्काना क्या


आवाज़ किसी को दें लेकिन एक नाम तुम्हारा होठों पर -2
एक नाम तु्म्हारा होठों पर
हर शकल से उभरो तुम ही तुम, युं खुद को मगर बहलाना क्या - 2
जब चाहने वाला कोई नहीं -2
फिर जीना क्या मर जाना क्या
हम जैसे तन्हा लोगों का अब रोना क्या मुस्काना क्या


रातों का सफर है दिन के लिए और दिन में तमन्ना रातों की - 2
और दिन में तमन्ना रातों की
जब पाँव में रस्ते खो जाए, फिर रुकना क्या घर जाना क्या - 2
जब चाहने वाला कोई नहीं -2
फिर जीना क्या मर जाना क्या
हम जैसे तन्हा लोगों का अब रोना क्या मुस्काना क्या

http://youtu.be/Z2l31c65VQs

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