"हम सब परछाईयां हैं
आसमान से गिरी बूँद की तरह
है हमारा वुजूद
शायद खो जाने के लिए..
... --------------पत्ते की तरह कांपती सासे
-------------आड़ी तिरछी रेखाओं से रिश्ते
-------------और करवटें बदलते सच और झूठ..
-------------बस जिंदगी सास लेने लगती है.
कुछ अच्छी बुरी यादें
कुछ बाते जो टीस दे गई
कुछ पल जो याद रह गए
और कुछ वादे जो पूरे न हुए
यु तैयार हुआ ढांचा एहसासों का
-----------क्या एहसास हैं
----------क्या तलाश है
----------क्यों जीते हैं हम
----------क्यों मरते हैं हम
---------कभी अपनी नजरो में
--------कभी दूसरो की नजरो में
फिर भी हँसते हैं हम
दुनिया के लिए
पर क्यों ... नहीं जानते
----------इन्ही अनसुलझे सवालों में उलझे हम
---------रिश्तो के दलदल में डूबे
---------बिना जीवन का मकसद जाने.
---------बढ़ रहे हैं मौत की ऒर पल पल ...
--------फिर भी हम सोचते हैं ...
--------हम जिंदा हैं......."
निधि नित्या
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