Wednesday, 10 July 2013

वक्त ने हमसे कैसा लिया इम्तेहान

Waqt ne Hamse Kaisa liya Imtehaan.

वक्त ने हमसे कैसा लिया इम्तेहान - 3
हमने रोका नहीं तुम रुके भी नहीं - 2
बन तो सकती थी कितनी अलग दास्तां - 2
हमने रोका नहीं तुम रुके भी नहीं - 2
वक्त ने हमसे कैसा लिया इम्तेहान

हमको इलज़ाम देने से क्या फायदा - 3
अपने कदमों की आहट से
अपने कदमों की आहट से खुद पूछ लो
किसने किसपे गिराई थी क्यों बिजलियाँ - 2
हमने रोका नहीं तुम रुके भी नहीं - 2
वक्त ने हमसे कैसा लिया इम्तेहान

अपनी मर्जी से आए थे महफिल में तुम - 3
अपनी मर्जी से खुद ही
अपनी मर्जी से खुद ही निकल भी गए
सबको ऐसी मुहब्बत मिलेगी कहाँ - 2
हमने रोका नहीं तुम रुके भी नहीं - 2
वक्त ने हमसे कैसा लिया इम्तेहान

काश आए हवा का वो झोंका कहीं - 3
ले उड़े जिन्दगी को
ले उड़े जिन्दगी को उसी मोड़ पर
जब मिली हमको पहली जुदाई जहाँ
हमने रोका नहीं तुम रुके भी नहीं - 2
वक्त ने हमसे कैसा लिया इम्तेहान

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