इस साल का यह एक सलाम आखरी है
दिल से निकली जो यह एक कलाम आखरी है
फिर नया साल होगा, नई-नई बातें होंगी
एहसासों में डूबा हुआ यह पयाम आखरी है
हर ख्वाब, हर ख्याल में तेरा ही ज़िक्र है
मेरे लबों पर जो आये तेरा नाम आखरी है
रो देने से बदलती नहीं तक़दीरें 'जनाब'
मत सोच ज़िन्दगी का यह मुकाम आखरी है
ना रोको हमें आज, बहकने दो कुछ पल के लिए
होंटों तक आये चल कर जो यह जाम आखरी है
"ख्वाहिश" के लफ़्ज़ों में हैं ज़िन्दगी की महक
इस बज़्म में मेरे ग़ज़ल की यह शाम आखरी है
~~~~~ख्वाहिश~~~~~~~~
दिल से निकली जो यह एक कलाम आखरी है
फिर नया साल होगा, नई-नई बातें होंगी
एहसासों में डूबा हुआ यह पयाम आखरी है
हर ख्वाब, हर ख्याल में तेरा ही ज़िक्र है
मेरे लबों पर जो आये तेरा नाम आखरी है
रो देने से बदलती नहीं तक़दीरें 'जनाब'
मत सोच ज़िन्दगी का यह मुकाम आखरी है
ना रोको हमें आज, बहकने दो कुछ पल के लिए
होंटों तक आये चल कर जो यह जाम आखरी है
"ख्वाहिश" के लफ़्ज़ों में हैं ज़िन्दगी की महक
इस बज़्म में मेरे ग़ज़ल की यह शाम आखरी है
~~~~~ख्वाहिश~~~~~~~~
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