उजाले और उजाले के बीच अँधेरा आता है
मंजिल की राहों .में कोहरा घनेरा आता है
असफलता लाती है अवसाद की सुनामियाँ
सपनीली आँखों के नीचे काला घेरा आता है
लक्ष्मण पर भी चल जाती है आसूरी शक्ति
जब कभी विपरीत वक्त का फेरा आता है
तभी चलता है नींव की मजबूती का पता
जलजले की जद में जब कोई बसेरा आता है
सुन, डूबा हुआ सूर्य फिर निकलता है ‘मधु’
काली रात के बाद चमकीला सबेरा आता है
-डॉ. मधुसूदन चौबे
मंजिल की राहों .में कोहरा घनेरा आता है
असफलता लाती है अवसाद की सुनामियाँ
सपनीली आँखों के नीचे काला घेरा आता है
लक्ष्मण पर भी चल जाती है आसूरी शक्ति
जब कभी विपरीत वक्त का फेरा आता है
तभी चलता है नींव की मजबूती का पता
जलजले की जद में जब कोई बसेरा आता है
सुन, डूबा हुआ सूर्य फिर निकलता है ‘मधु’
काली रात के बाद चमकीला सबेरा आता है
-डॉ. मधुसूदन चौबे
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