छोटी से छोटी खुशी को गले लगाकर देख
मेरे बच्चे चाकलेट के बदले मुस्कुराकर देख
खुशी के हिमालय नहीं टापू ही होते हैं सदा
काँटों के बीच गुलाब को खिलखिलाकर देख
जो हमें मिल सका वो ही हमारे लिए था बस
शुक्रिया बोल, आसमान को सिर उठाकर देख
पलों के अंतराल से मिली जीत भी जीत है
रो मत इस फतेह के लिए ताली बजाकर देख
अनिश्चित है ये जिन्दगी निकल जायेगी ‘मधु’
मन उदास हो तो खुद को चुटकुला सुनाकर देख
-डॉ. मधुसूदन चौबे
मेरे बच्चे चाकलेट के बदले मुस्कुराकर देख
खुशी के हिमालय नहीं टापू ही होते हैं सदा
काँटों के बीच गुलाब को खिलखिलाकर देख
जो हमें मिल सका वो ही हमारे लिए था बस
शुक्रिया बोल, आसमान को सिर उठाकर देख
पलों के अंतराल से मिली जीत भी जीत है
रो मत इस फतेह के लिए ताली बजाकर देख
अनिश्चित है ये जिन्दगी निकल जायेगी ‘मधु’
मन उदास हो तो खुद को चुटकुला सुनाकर देख
-डॉ. मधुसूदन चौबे
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