Saturday, 10 May 2014

छोटी से छोटी खुशी को गले लगाकर देख

छोटी से छोटी खुशी को गले लगाकर देख
मेरे बच्चे चाकलेट के बदले मुस्कुराकर देख

खुशी के हिमालय नहीं टापू ही होते हैं सदा
काँटों के बीच गुलाब को खिलखिलाकर देख

जो हमें मिल सका वो ही हमारे लिए था बस
शुक्रिया बोल, आसमान को सिर उठाकर देख

पलों के अंतराल से मिली जीत भी जीत है
रो मत इस फतेह के लिए ताली बजाकर देख

अनिश्चित है ये जिन्दगी निकल जायेगी ‘मधु’
मन उदास हो तो खुद को चुटकुला सुनाकर देख

-डॉ. मधुसूदन चौबे 

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