Saturday, 31 May 2014

वहाँ रोशनी भी होगी जहाँ अभी अंधेरा है

वहाँ रोशनी भी होगी जहाँ अभी अंधेरा है
ये मत भूल कि हर रात के बाद सवेरा है,

अपनी बेबसी पे घर के दरो-दीवार भी रोते होगें
गम को छुपाने के लिये मुस्कुराता हुआ चेहरा है,

तमाशा बन के रह जाओगे तुम सब की नजरों में 
कुछ वक्त दो, ये भी भर जायेगा जख्म अभी गहरा है,

बस हाल-ए-दिल पुछने वालों से बचना है मुझे 
मैं तो तिनका हूँ जिसे हवाओं ने बिखेरा है,

'ख्वाहिश' खुशमिज़ाज लोग ही याद रह जाते हैं यहाँ 
वो ख़ाक याद रहेगा जो शिकवों-शिकायतों से घिरा है

'ख्वाहिश

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