Sunday, 25 May 2014

बहुत अजीज है तेरे साथ तेरा मुस्कुराना भी

मुझे आज भी याद है मोहब्बत में वो रुठना और मनाना भी
मेरे पल दो पल की जुदाई में तेरी आँखों से अश्क बहाना भी
मैं भी कैद हूँ तेरी ही यादों में ऐ मेरे हमदम
बिन तेरे मेरे साथ चलता है मेरे हिस्से का वीराना भी
कभी तेरे ख्यालों से मुस्कुराता हूँ तो कभी रो देता हूँ
आशिकी में जरुरी है वक्त-बेवक्त, चोट पे चोट खाना भी
तेरी आँखों में मेरी दुनिया बसती है, इन्हें नम ना किया करो
इन आँखों में वो नशा है की डूब जाये कोइ मैखाना भी
जिदंगी में कुछ रिश्ते एहसास के दम पर भी जी लेते हैं
वो मोहब्बत, मोहब्बत नहीं गर जरुरी हो हमेशा पास आना भी
तकदीर में जो लिखा है होना वही है तो अफसोस किस बात का
कभी देखो शमा के लिये आज तक जल जाता है परवाना भी
तुम्हारे हिस्से का हर एक ग़म काश तुम मेरे हवाले कर दो
'ख्वाहिश' को बहुत अजीज है तेरे साथ तेरा मुस्कुराना भी
- ख्वाहिश

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