मेरी हथेली में तकदीर लिखना भूल गया
खुदा नसीब की लकीर लिखना भूल गया
बदनसीब हूँ पर उनसे बेहतर हूँ मेरा खुदा
जिनके हाथ में जमीर लिखना भूल गया
दोस्तों ने कत्ल की रूह मेरी प्यार से खुदा
दुश्मनों के लिए शमशीर लिखना भूल गया
अब पिज्जा बॉय बजाते हैं डोर बेल मौला
दर पर पाकीजा फकीर लिखना भूल गया
हर वक्त मिलते हैं नफरतों के जलजले खुदा
मेरे लिए प्रेम की तस्वीर लिखना भूल गया
मैं भटकता हूँ रातों को भूतों की तरह ‘मधु;
खुदा मेरे लिए जंजीर लिखना भूल गया
-डॉ. मधुसूदन चौबे
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