Saturday, 17 May 2014

मेरी हथेली में तकदीर लिखना भूल गया


मेरी हथेली में तकदीर लिखना भूल गया 
खुदा नसीब की लकीर लिखना भूल गया 

बदनसीब हूँ पर उनसे बेहतर हूँ मेरा खुदा 
जिनके हाथ में जमीर लिखना भूल गया

दोस्तों ने कत्ल की रूह मेरी प्यार से खुदा 
दुश्मनों के लिए शमशीर लिखना भूल गया 

अब पिज्जा बॉय बजाते हैं डोर बेल मौला 
दर पर पाकीजा फकीर लिखना भूल गया 

हर वक्त मिलते हैं नफरतों के जलजले खुदा 
मेरे लिए प्रेम की तस्वीर लिखना भूल गया

मैं भटकता हूँ रातों को भूतों की तरह ‘मधु;
खुदा मेरे लिए जंजीर लिखना भूल गया

-डॉ. मधुसूदन चौबे

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