Saturday, 31 May 2014

दीपक, जुगनू, चाँद, सितारे एक से हैं

दीपक, जुगनू, चाँद, सितारे एक से हैं 
यानी सारे इश्क के मारे एक से हैं 

हिज्र की शब में देख तो आके मेरे चाँद 
मेरे आँसूं और ये तारे एक से हैं 

दरिया हूँ मैं बैर-भाव मैं क्या जानू 
मेरे लिये तो दोनो किनारे एक से हैं 

मेरी कश्ती किसने डुबोई क्या मालूम 
सारी लहरें, सारे धारे एक से हैं 

कुछ अपने, कुछ बेगाने और मैं खुद 
मेरी जान के दुश्मन सारे एक से हैं 

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