Saturday, 17 May 2014

बड़ा मक़्तब है दुनिया ख़ुद हुनर-ऐ ज़िंदगानी ले

बड़ा मक़्तब है दुनिया ख़ुद हुनर-ऐ ज़िंदगानी ले
समंदर से ले वुसअत तू तो दरिया से रवानी ले

पहाड़ो से अना तू सीख तूफ़ानो में नहीं झुकते
गुलों से मुस्कुराना सीख मौसम से जवानी ले

शजर हो चाहे पानी हो, जवाहर हो या ग़ल्ला हो
न कर बर्बाद ये दौलत कि इसकी पासबानी ले

सभी मज़हब ये कहते है मुहब्बत है सबक़ पहला
अगर कुछ शक है तुझको तो किताबें आसमानी ले

समेटे रख यहाँ रिश्ते बड़ी मुश्किल से निभते है
ज़रा बिस्मिल से रख क़ुरबत न दिल में बदगुमानी ले

-  अय्यूब खान "बिस्मिल

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