खा जाये अगर सब्र को
हालात तो फिर क्या होगा
ना समझ सके गर कोई दिल
के जज्बात तो फिर क्या होगा?
हालात तो फिर क्या होगा
ना समझ सके गर कोई दिल
के जज्बात तो फिर क्या होगा?
दोस्ती हो जाये तुफानों से और
हाथ ना आये किनारे तो गम नहीं
पर अगर तुफान भी ना निभा सके
अपना साथ तो फिर क्या होगा?
हाथ ना आये किनारे तो गम नहीं
पर अगर तुफान भी ना निभा सके
अपना साथ तो फिर क्या होगा?
अच्छा ही है कि दोनों की राहें
अलग-अलग हैं पर..
किसी मोड़ पर फिर हो जाये उनसे
मुलाकात तो फिर क्या होगा?
अलग-अलग हैं पर..
किसी मोड़ पर फिर हो जाये उनसे
मुलाकात तो फिर क्या होगा?
हर नई सुबह मुसाफिर के लिये
नई उम्मीदें ले आती है पर..
अगर खत्म ना हो वो दर्द की
काली रात तो फिर क्या होगा?
नई उम्मीदें ले आती है पर..
अगर खत्म ना हो वो दर्द की
काली रात तो फिर क्या होगा?
हाथ थाम कर यूं ही साथ चलो
हमारे तो ये सफर मुकम्मल हो
पर जहां हो सवालात ही सवालात
तो फिर क्या होगा?
हमारे तो ये सफर मुकम्मल हो
पर जहां हो सवालात ही सवालात
तो फिर क्या होगा?
दोस्तों वैसे तो तन्हा रह कर भी
कभी तन्हा नहीं पर..
भरी महफिल में हो अश्कों की बरसात
तो फिर क्या होगा?
कभी तन्हा नहीं पर..
भरी महफिल में हो अश्कों की बरसात
तो फिर क्या होगा?
- अज्ञात
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